Tuesday, April 16, 2019

योगी आदित्यनाथ ने 'तोड़ी' चुनाव आयोग की लगाई रोक की नली

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार संहिता उल्लंघन मामले में चुनाव आयोग की लगाई रोक का 'तोड़' निकाल लिया है.
ये बातें सोशल मीडिया पर लोगों ने तब लिखना शुरू किया, जब मंगलवार सुबह योगी आदित्यनाथ लखनऊ के हनुमान सेतू मंदिर में पूजा करते नज़र आए.
योगी ऐसे वक़्त में मंदिर गए हैं, जब सोमवार को ही चुनाव आयोग ने तीन दिनों के लिए योगी आदित्यनाथ के प्रचार करने पर रोक लगाई है. ये रोक मायावती पर भी दो दिनों के लिए लगाई गई थी.
ऐसे में बजरंग बली बयान मामले में योगी के बजरंग बली के मंदिर जाने को लोग चुनाव आयोग की रोक से बचते हुए प्रचार का तरीक़ा मान रहे हैं.
योगी के मंदिर जाने पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं हैं.
सौरभ नाम के यूज़र ने ट्वीट किया, ''मीडिया इसे कवर ही क्यों कर रहा है. जब प्रतिबंध लगा हुआ है.''
हालांकि कुछ लोग ऐसे भी रहे, जो योगी आदित्यनाथ के मंदिर जाने को सही ठहरा रहे हैं.
रमन लिखते हैं, ''योगी आदित्यनाथ हिंदू हैं. योगी को मंदिर में जाकर पूजा करने का पूरा अधिकार है.''
अभिमन्यु लिखते हैं, ''हा हा. प्रतिबंध का असर ही क्या हुआ, जब मीडिया योगी के मंदिर जाने को कवर कर रहा है.''
योगी आदित्यनाथ ने 9 अप्रैल को मेरठ की रैली में 'अली' और 'बजरंगबली' की टिप्पणी की थी.
योगी ने कहा था, ''अगर कांग्रेस, सपा और बसपा को भरोसा 'अली' में है तो हम लोगों की आस्था बजरंगबली में है.''
इससे पहले मायावती ने 7 अप्रैल को सहारनपुर में अपने भाषण में मुसलमानों से अपील करते हुए कहा था कि वो अपना वोट नहीं बँटने दें.
योगी आदित्यनाथ ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर आपत्ति जताई है.
वहीं मायावती ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में मोदी पर आरोप लगाया कि वे लगातार सेना का नाम ले रहे हैं, जिस पर चुनाव आयोग की नज़र नहीं जाती है.
मायावती ने कहा, "चुनाव आयोग ने मुझ पर पाबंदी लगा दी है, योगी पर भी लगाई है लेकिन मोदी जी को क्यों नोटिस नहीं मिलता."
आइफ़ल टावर एक सदी से कुछ ज़्यादा पुराना है. मगर नॉट्र डाम 850 सालों से पेरिस के दृश्यपटल का अभिन्न अंग बना हुआ है, वो पिछली आठ सदी से पेरिस की पहचान रहा है.
अंतरराष्ट्रीय ख्याति के लेखक विक्टर ह्यूगो ने इसी चर्च के नाम पर एक क्लासिक उपन्यास लिखा था - हंचबैक ऑफ़ नॉट्र डाम' - जो फ़्रेंच साहित्य की एक मास्टरपीस कृति माना जाता है.
इससे पहले आख़िरी बार इस चर्च को फ़्रांसीसी क्रांति के वक़्त नुक़सान पहुँचा था जब वहाँ चर्च विरोधियों ने संतों की मूर्तियों को तोड़ डाला था.
ऐसे में इस ऐतिहासिक प्रतीक को धूँ-धूँ जलते देखने पर फ्रांस के लोगों के दिलों पर क्या बीत रही होगी इसे समझना मुश्किल नहीं.
पेरिस में रहनेवाले जब सीन नदी के पास से गुज़रते हैं तो नॉट्र डाम की भव्य इमारत की एक झलक भर उनके भीतर फ़ख़्र का अहसास भर देती है.
ऐसा नहीं है कि पेरिस निवासी अक्सर नॉट्र डाम आया करते हैं.
मैं ख़ुद इस शहर में तीन दशकों से रह रहा हूँ, मगर मैं मुश्किल से तीन या चार बार भीतर गया होउँगा, और वो भी विदेशी पर्यटकों के साथ. और मेरे जैसे कई लोग मिल जाएँगे.
और ये चर्च केवल पश्चिमी यूरोप का सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल भर नहीं है.
आठ सदी बाद, अभी भी यहाँ पूजा होती है, और हर साल लगभग 2000 आयोजन होते हैं.
और नॉट्र डाम की अहमियत केवल पर्यटक स्थल या धार्मिक स्थल तक ही सीमित नहीं.
फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉं ने चर्च में आग लगने पर कहा - 'पूरा देश जल रहा है'.
नॉट्र डाम से निकलती लपटों को देख बहुत सारे लोगों की आँखें भर आईं.